छठ पूजा क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास

 

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास

क्या आपको पता है, छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? आप क्या जानते हैं छठ पूजा क्या होती है और इसे कैसे बनाते हैं? शायद आप लोग पहले ही छठ पूजा के विषय में जानकारी रखते हों। बहुतों का जवाब शायद हाँ हो, जो की जायज़ सी बात है। लेकिन अब आप जानते हैं कि छठ क्यों मनाया जाता है? यदि नहीं तो आज का यह लेख आपके लिए काफी जानकारी भरा होने वाला है।


छठ पूजा हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा महापर्व है जिसे चार दिनों तक लगातार मनाया जाता है। छठ पर्व छठ पूजा, छठ, सम्मिलित छठी माई, छठ माई, षष्ठी सूर्य एवं षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, वहीं बात करें अन्य देशों की तो यह पर्व नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी मनाया जाता है। छठ सूर्य पूजा को समर्पित है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी माता भगवान सूर्य की बहन हैं। छठ पूजा का पर्व बिहार में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। बिहार के लोग इसे अपना सबसे बड़ा पर्व मानते हैं और एक तरह से यह पर्व उनकी संस्कृति बन गया है। इस लेख में छठ पूजा क्यों मनाई जाती है के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इसे पूरी तरह से पढ़ना होगा। तो फिर बिना रुके जारी रहती है छठ पूजा क्यों होती है।

छठ पूजा क्या है?

छठ पूजा एक हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। इस पर्व का धूम धाम बिहार में देखें। माना जाता है कि यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ पूजा पर्व का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है अर्थात यह पर्व रामायण काल एवं महाभारत काल से चला आ रहा है।

छठ पूजा क्या है?

छठ पूजा एक हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। इस पर्व का धूम धाम बिहार में देखें। माना जाता है कि यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ पूजा पर्व का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है अर्थात यह पर्व रामायण काल एवं महाभारत काल से चला आ रहा है।

2023 में छठ पूजा कब है?

2023 में 30 अक्टूबर, रविवार को छठ पूजा है।


छठ पूजा का इतिहास

छठ पूजा से जुड़ी हुई बहुत सी कहानियाँ प्रचिलित जो कि वैदिक काल, रामायण काल एवं महाभारत काल आदि से जुड़ी हुई हैं। इसी तरह छठ पूजा यानि सूर्य पूजा को भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आइए हम आपको छठ पूजा से जुड़ी हुई कुछ तस्वीरें से लेकर आकर्षक संरचनाएं बताते हैं।


महाभारत काल की कथा के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल से ही हुई थी। कर्ण सूर्य भगवान के पुत्र थे और भगवान सूर्य में परम भक्त भी थे। ऐसा माना जाता है कि कर्ण प्रतिदिन कई-चौथाई कमर तक पानी में बंद सूर्य को अर्घ्य देते थे और भगवान सूर्य के आशीर्वाद से ही वे महान योद्धा बनते थे।

दिवाली क्यों मनाया जाता है

रामायण काल में एक सिद्धांत यह है कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, उसके बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान राम और माता सीता ने सूर्योपासना एवं सारस की और सप्तमी के दिन फिर से से प्राप्त किया था। अनुष्ठान सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।


अगर आप भी भारत के प्रमुख त्योहारों और त्योहारों से रूबरू होना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करके इसे पढ़ सकते हैं।

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छठ पूजा कब मनाई जाती है?

छठ पूजा का पर्व साल भर में दो बार आता है। छठ पूजा का पर्व हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और द्वितीय चैत्र माह की षष्ठी तिथि आती है, लेकिन मुख्य रूप से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व हर साल मनाया जाने वाला पर्व है।


छठ पूजा का पर्व इस दिन भगवान के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएँ हैं और इस दिन से जुड़ी हुई बहुत सी कहानियाँ भी प्रचलित हैं। छठ पूजा पर्व के अनुष्ठान बहुत कठोर माने जाते हैं। निर्जल व्रत से लेकर पानी में सूर्य अर्घ्य देना आदि कार्य शामिल हैं जो कि इस पर्व में उपासक को करना होता है। पर्यावरण के अनुसार भी छठ पूजा के पर्व को प्रकृति के अनुकूल माना गया है।

छठ पूजा क्यों मानते हैं?

छठ पूजा का पर्व घर परिवार द्वारा सभी सदस्यों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए मनाया जाता है। इस दिन प्राकृतिक सौंदर्य एवं पारिवारिक कल्याण के लिए पूजा की जाती है। माना जाता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि वास होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।


कुछ महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए और पुत्र के कुशल मंगल जीवन की कामना लेकर इस दिन व्रत रखती हैं। वंससे तो इस दिन स्त्री एवं पुरुष दोनों ही लगभग एक जैसे रूप से व्रत रखते हैं। पुरुष भी अपने मनवांछित फल प्राप्ति के लिए इस कठोर व्रत को रखते हैं। रोगी या फिर रोगी परिवारजन रोग से मुक्ति पाने के लिए छठ पूजा करते हैं।

छठ पूजा की विधि

छठ पर्व में सबसे मुख्य होता है छठ व्रत और यह व्रत बहुत कठिन होता है। यह पर्व चार दिनों तक लगातार मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से मानी जाती है।


पहले दिन सेंधा नमक और घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी को प्रसाद के तौर पर खाया जाता है फिर अगले दिन से व्रत की शुरुआत होती है।


दूसरे दिन बिना अन्न जल ग्रहण के व्रत रखा जाता है और शाम को गुड़ या गाने के रस व चावल से बनी रोटी एकांत में ग्रहण किया जाता है जिसके बाद इसे घर के सभी मंडलों को प्रसाद के तौर पर परोसा जाता है। षष्ठी तिथि के दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और अंतिम दिन सप्तमी को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का महत्वपूर्ण पौराणिक दृष्टिकोण से ही बस नहीं वरन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी माना जाता है। छठ पूजा पर विशेष रूप से भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। सूर्य की किरणों को काफी ज्यादा सराहा गया है। छठ पूजा के पर्व में भी प्राकृतिक वस्तुओं का ही उपयोग होता है जिनमें बांस, प्राकृतिक फल-फूल, बांस का रस आदि शामिल हैं।


छठ पूजा का व्रत प्राकृतिक सौंदर्य एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति और पुत्र के कुशल मंगल जीवन की कामना से इस व्रत को रखती हैं। छठ व्रत रखने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह दिन विशेष माना जाता है।

छठ का पौराणिक महत्व क्या है?

इन मित्सुबिशी की दुकान पर एक और किवदंती भी प्रचलित है। पुराणों के अनुसार प्रियव्रत नामक एक राजा का कोई संत नहीं था। इसके लिए उसने हर जतन कर डाला, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। तब उस राजा को पुत्र प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप ने पुत्र येष्टि यज्ञ करने का परामर्श दिया।


यज्ञ के बाद महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मेरा पैदा हुआ। राजा के मृत बच्चे की सूचना से पूरे नगर में शोक छा गया। कहा जाता है कि जब राजा मृत बच्चे को ले जाने की तैयारी कर रहे थे, तो वे धरती से उतरा पर एक ज्योतिर्मय विमान बन गए।


अन्य देवी ने कहा, 'मैं षष्ठी देवी और विश्व के सभी बालकों की रक्षिका हूं।' इसके बाद ही राजा ने अपने राज्य में इस उत्सव की घोषणा की।

छठ का पौराणिक महत्व क्या है?

इन मित्सुबिशी की दुकान पर एक और किवदंती भी प्रचलित है। पुराणों के अनुसार प्रियव्रत नामक एक राजा का कोई संत नहीं था। इसके लिए उसने हर जतन कर डाला, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। तब उस राजा को पुत्र प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप ने पुत्र येष्टि यज्ञ करने का परामर्श दिया।


यज्ञ के बाद महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मेरा पैदा हुआ। राजा के मृत बच्चे की सूचना से पूरे नगर में शोक छा गया। कहा जाता है कि जब राजा मृत बच्चे को ले जाने की तैयारी कर रहे थे, तो वे धरती से उतरा पर एक ज्योतिर्मय विमान बन गए।


अन्य देवी ने कहा, 'मैं षष्ठी देवी और विश्व के सभी बालकों की रक्षिका हूं।' इसके बाद ही राजा ने अपने राज्य में इस उत्सव की घोषणा की।

छठ पूजा कैसे मनाई जाती है?

छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है। बिहार में यह पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा पर्व का प्रमुख भाग छठ व्रत है। छठ व्रत में बिना अन्न जल ग्रहण करना, सूर्य को कमर तक पानी में रखकर अर्घ्य देना, एकांत में प्रसाद ग्रहण करना, शुद्धि का विशेष ध्यान रखना आदि कठोर नियम शामिल हैं।


इस दिन सूर्य की पूजा भी की जाती है। बिहार में षष्ठी माता के लोकगीत बहुत प्रचलित हैं। छठ पूजा की शुरुआत होती है घर एवं मंदिर से छठ माता के गीतों की गूंज लोक संग्रह जारी है। छठ पूजा बिहार की परंपरा बन रही है।


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